दोज़ख़ का हाल
ये जन्नत का हाल था जो पूर्व गुज़रा, अब दोज़ख़ का भी थोड़ा सा हाल सुन लीजिए जो क़ुरान पाक और हदीसों में वर्णन है। ये रिवायतें भी वर्णन पुस्तकों (कंज़ुल उम्माल, तरग़ीब व तरहीब एवं मिश्कात शरीफ) ही से लिखी जाती है।
नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया के दोज़ख़ की आतिश की हरारत इस शिद्दत की है के दुनिया की आग की हरारत से 69 हिस्से अधिक है, यै युँ समझो के हरारत के 70 हिस्से किए गए। एक हिस्सा दुनिया की आग को मिला और बाखी वहाँ की आग को।
यदि सुई के टाके के बराबर दोज़ख़ से सुराख़ हो जाए जिस से वहाँ की हरारत धरती पर आने लगे तो इतनी ही हरारत से सम्पूर्ण धरती के रेहने वाले हलाक व नाश हो जाएँ। इस का रंग अत्यन्त काला है जैसे रात देर।
दोज़ख़ इतनी गेहरी है के यदि इस के किनारे पर से एक बड़ा पत्थर उस में ड़ाला जाए तो 70 वर्ष गुज़र जाने पर भी तेह तक ना पहुँचेगा।
इस में एक पर्वत व पहाड़ है जिस का नाम सअ़उद है इस पर चढ़ने के लिए दोज़ख़ी मजबूर किए जाएँगे। जब वह इश पर हाथ या पाँव टेकेंगे तो वह पिघल जाएँगे तथा जब उठा लेंगे तो फिर पैदा हो जाएँगे। इस में पीप तथा लहू के बड़े-बड़े तालाब हैं।
दोज़ख़ियों की भूक इस बला की होगी के कोई एक अज़ाब इस के बराबर ना होगा, जब भूक से फरयाद करेंगे तो ज़रीअ खिलाई जाएगी जो ज़हरीली काँटेदार एक बोटी है। फिर फरयाद करेंगे तो ऐसी चीज़ खिलाई जाएगी जो में फंसे। उस समय इन को विचार आएगा के ऐसा भोजन दुनिया में पानी से हलक़ के भीतर उतारी जाती थी तो पानी की इच्छा करेंगे तब गरम पानी लोहे की अकोड़ियों के द्वारा से इन को पिलाया जाएगा इस की गरमी इस शिद्दत की होगी के मउँह के खरीब पहुँचते ही सर और मुँह की खाल गल कर गर पड़ेगी।
और जब वह पेट में पहुँचेगा तो अंतड़ी कट-कट कर गिरेंगी। और कभी ज़क़ूमपिलाया जाएगा जिस की ये परिस्थिति है के यदि दुनिया में इसकी एक बूँद टपक जाए तो सम्पूर्ण पृथ्वी के लोगों पर जीवन तल्क़ हो जाए और यदि समंदरों में ड़ाला जाए तो सम्पूर्ण पानी खराब हो जाए।
और कभी ऐसा पानी पिलाया जाएगा के तेल की तलछुट की तरह अत्यन्त गाढ़ा तथा अत्यन्त गरम होगा जिस की भाँप से मुँह की खाल झड़ जाएगी। कभी गस्साक़ यथा पीप पिलाई जाएगी जिस का एक ड़ोल दुनिया में ड़ाला जाए तो सम्पूर्ण दुनिया में बदबू फैल जाए।
दुनिया में जो सब से बड़ी नेअमत वाला मालदार व्यक्ति था लाया जाएगा तथा उस को दोज़ख़ में एक ग़ौता दे कर अल्लाह तआला पूछेगा के अए मानव कभी कुशलता (क़ैर) तू ने देखी थी या किसी नेअमत व वरदान का तुझ पर गुज़र हुआ था।
निवेदन करेगा कभी नहीं या रब। यथा इस कठिनाई व मुसीबत की स्थिति में वरदान व नेअमत याद तक ना आएगी। काफिरों की ज़बान इतनी लम्बी हो जाएगी के लोग इस पर चलेंगें। हमीम यथा गरम पानी दोज़ख़ियों के सर पर ड़ाला जाएगा तो वह मसामात के द्वारा से भीतर नफूज़ कर के पेट में जो कुछ है उन को पिघला कर पैरों के ओर से निकाल देगा तथा साथ ही वह चीज़ें फिर पैदा हो जाएँगी क्यों के उद्देस्य अज़ाब देना है।
वहाँ के साँप बड़े बड़े ऊँटों के बराबर हैं। तथा बिच्छू क़चरों के बराबर, जब ढसेंगे तो चालीस-चालीस वर्ष के काल तक इन का ज़हर और दर्द बाखी रहेगा। इन के सिवा कोई दुःख देने वाली चीज़ दुनिया में नहीं जो दोज़ख़ में ना हो।
जिस ज़ंजीर में कुफ्फार जकड़े जाएँगे उस का एक एक हलक़ा (झुण्ड) ऐसा है के यदि पहाड़ पर रखा जाए तो उस को और ज़ीनों को गलाता और फाड़ता हुआ निकल जाए।
वहाँ के फरिश्तों की ऐसी मुहीब तथा ड़रावनी शकलें हैं के यदि एक फरिश्ता दुनिया में प्रकट हो जाए तो लोग इस को देख कर हैबत के मारे मर जाएँ।
अतः जैसे जन्नत में प्रत्येक प्रकार की लज़्ज़त व आनन्द तथा नफ्स की इच्छा की चीज़ें हैं इसी प्रकार दोज़ख़ में प्रत्येक प्रकार के अज़ाब की चीज़ें उपलब्ध हैं।
{मक़ासिद उल इस्लाम, जिल्द 05, पः 11-13}