किसी की ओर झूठ बाँधने की मज़म्मत
भाषांतरः हज़रत अस्मा बिन्त अबी बक्र रज़ियल्लाहु तआला अन्हा से वर्णित है के एक स्त्री ने निवेदन किया के या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मेरी एक सौकन है यदि मैं (उसके सामने) ये स्पष्ट करुँ के मेरे पति ने मुझे ये चीज़ दी है हालाँकि उस ने नहीं दी है तो क्या मेरे लिए ये पाप की बात होगी। (ये सुन कर) रसूलउल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया के स्पष्ट करने वाला इस चीज़ का जिस को वह नहीं मिली है इस मिसाल उस व्यक्ति की सी है जो झूठ और फरेब के दो कपड़े पहनते हों (यानी मक्कार और धोकेबाज़ है)।
(इस की रिवायत बुखारी और मुसलिम ने की है)।
{उद्धरणः नूरुल मसाबीह, जिल्द 08}