फैशियल एक मेक-अप करने का तरीक़ा है। आज-कल महिलाएं इसे अपना रही हैं। इस तरीक़े में चहरे पर क्रीम्स लगा कर मसाश किया जाता है फिर गरम पानी कि भांप दी जाती है इस के बाद ब्लीचिंग (विरंजन) की जाती है जिसके कारण से चहरा चमकदार होता है।
इसी प्रकार के मेक-अप को बनाने के लिए फेर्नेस क्रीम उपयोग किए जाते हैं। महिलाओं के लिए क्यों के शरन (धर्मशास्त्र अनुसार) ज़ीनत व सुन्दरता प्राप्प करना जाइज़ व श्रेष्टतर है।
पति कि ओर से इच्छा का प्रदर्शन हो तो चहरे के बाल निकालने में कोई समस्या नहीं। किन्तु शरीअ़त के अनुसार मेक-अप का यह तरीक़ा प्राप्त किया जा सकता है शर्त है के प्रयोग किए जाने वाले क्रीम्स हानिकारक व नुक़सान देने वाले ना हों। रद्दुल मुक़तार में हैः-
भाषांतरः- श्रृंगार व रूप का बदलाव इस समय जाइज़ है जब के घमण्ड के तौर आधार पर ना हों तथा महिला सुगंध लगा कर घर से बाहर ना निकले तथा कोई शरई़ निषिद्ध कि ओर भी ना हो। यदि अजनबियों के सामने बनाउ श्रृंगार कर के अश्लील व बेपरदा निकले या निम्मलिखित वर्णन खराबियों में से कोई एक खराबी भी हो तो यह शरन (धर्मशास्त्र अनुसार) नाजाइज़ होगा।
मेक-अप से संबंधित जो सम्भावना बतलाई गई वह केवल जाइज़ के दर्जे में हैं। वाजिब (अनिवार्य) या फर्ज़ नहीं। हर समय मेक-अप कि चिन्ता करने तथा सझने संवरने में समय को व्यर्थ करना श्रेष्टतर नहीं।
ये ज़ाहिरी ज़ीनत व सुन्दरता है। मुस्लिम महिलाओं को भीतरी सुन्दरता बनाओ श्रृंगार के लिए रहना चाहिए। उम्माहातुल मोमिनीन (उ़म्मत कि माँएं) तथा महिला सहाबियात रज़ियल्लाहु तआला अन्हुम ने ज़ाहिरी सुन्दरता कि ओर ध्यान नहीं किया, इन्हों ने मन कि शुद्धता, विचार कि पवित्रता का प्रबंध किया। भीतरी सुन्दरता कि ओर ध्यान दिया तथा दुसरों को इसी का उपदेश दिया।
हज़रत उ़मर फारुख रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने अपने खुत्बे में फरमायाः-
भाषांतरः- कमी पेशी के लिए सुन्दरता को उपयोग करो जिस दिन तुम्हें पेश किया जाएगा तुम्हारी कोई छुपने वाली चीज़ नहीं छिपेगी।
(कंज़ुल उ़म्माल, 44203)